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कस, क्यों खत्म हई स्क ू िी जीवन
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कब, कसे, क्यों,
िडकिी धूप,
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पूर हो गए 2 साि
और वो छ ु ट्टी की घांटी,
हर क्िास क े सार दोस्िों का ननकिना, कफर आ गई वापस आझखरी इम्िेहान का
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माहोि।
और स्क ू ि गट पर जो भीड थी जमिी।
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कध पर बस्िे का भार, अब हमारी िैयारी नहीां थी पूरी,
गिनियाूँ थी हमारी,
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सार दोस्ि अपनी- अपनी साइककि पर सवार
मस्िी में हदन गुजार, े
लमिकर, रास्िे भर होिी थी खूब मस्िी,
सब जािे थे अपना घर, अपनी बस्िी। और उत्तर पुक्स्िका रह गई अधूरी।
िककन ककसी िरह पास ककया,
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आझखरी परीक्षा क े आझखरी हदन ने ,
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कब, कसे, क्यों,
ख़त्म हई 10 वीां की पढ़ाई, अांदर ही अांदर
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सबने अपने माक्सय की खूब करी थी बढ़ाई। हम सबको ऱूिा हदया।
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कफर िग बबछडने, काफी दुःख हआ,
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कफर हआ 1 लमिन समारोह स्क ू ि हई पूरी ख़िम,
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पर जा ना पाया, कफर िगा ,
अब क्जांदगी में नहीां रही वो बाि
िगा बहि बडा चुक हआ।
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पूरी लमत्र मांडिी बबछड गई,
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नहीां था कॉिज में ककसी का साथ।
खैर, कफर आई इटरमीडडएट की बारी,
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सबको िगा अब करनी पडेगी खूब पढ़ाई, सोचा था कॉिज में,
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क ु छ कम हई मस्िी, बनग थोडे क ू ि,
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पर अभी ख़िम नहीां हई है, मेर भाई। पर, वही थी हमारी,
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अब कफर पूर 2 साि हमने की थी सबसे बडी भूि।
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ख़ूब सारी मस्िी, कब, कसे, क्यों,
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अब आई कॉिज की बारी ।
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दोस्ि सार नए थे, पाहटयाूँ होिी थी खूब,
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भि ही हो थोडी सस्िी. िकर काफी पढ़ाई की बोझ,
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कफल्हाि िो वही है जारी ।
Samresh Sundi
B.Com sem 1